सफलता का मंत्र
सफलता का मंत्र
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छोटे से जीवन में मैंने दो लोगों को देखा,
एक था उत्प्रेरक वर्धक वही एक था झोले वाला,
पहला बोला कर्म प्रधान है करो कर्म हे भाई,
जीवन के उस उच्च शिखर पर कर्म ही सफलता पाई,
दूसरा बोला झोला लेकर सदा इसी में बैठो भाई,
इनको देखो उनको देखो कौन सफलता पाई,
पहला बोला हाथ पकड़ चलो साथ मेरे भाई,
जीवन के उस उच्च शिखर पर जहां सभी ने सफलता पाई,
मैंने पहले का बात मान प्रण यही किया है,
एक सफल आदमी बन जाऊं तय लक्ष्य यही किया है
पर हाथ जोड़ विनती प्रभु से है करे हमारा यह प्रण सत्य,
तब निश्चय ही चमकूंगा मैं या कोई हो प्रण धारी,
तब झोले वाला भागेगा चाहे कितना हो मायाबी,
चाहे कितना हो मायाबी चाहे कितना हो मायाबी |