सोशलमीडिया
सोशलमीडिया
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सिमट गया है जीवन अब,
सोशलमीडिया की आड़ में।
घर परिवार, रिश्ते नाते,
संस्कार गये सब भाड़ में।
साइबर अपराधों के चलते,
युवा कैद तिहाड़ में।
लगे हुए हैं बेखुद सब,
आनलाइन डेटिंग के जुगाड़ में।
सिमट गया है घर आंगन भी,
हम अनजानी इक भीड़ भाड़ में।
अब कहाँ खेल आंगन गलियों के,
क्या मज़ा कबड्डी की पछाड़ में।
पबजी पबजी खेल रहे सब,
जम्मू से केरल, मणिपुर से मेवाड़ में।
घर में होकर घर से दूर,
अनजानी उस भीड़ भाड़ में।
फेसबुक इंस्टा ही पढ़ते,
पुस्तकालय बेच कबाड़ में
सिमट गया है जीवन अब
सोशल मीडिया की आड़ में।
