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Bhanu Chauhan

Others

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Bhanu Chauhan

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समय

समय

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समय समय का चक्र है ,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


मैं पूछता इंसान से तुझे क्यों इतना फख्र है,

मिल जायेगा तू धूल में यही तो काल चक्र है।


समय समय का चक्र है,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


ये जो अन्धकार सामने खड़ा जो तुझको घूरता,

परास्त कर दे तू इसे अगर है तुझमें वीरता।


समय समय का चक्र है,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


विकर्षनों के जाल से अगर है तुझको जूझना,

तो तय कर अपना रास्ता और कर दे जग को सूचना।


समय समय का चक्र है, ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


न मान हार तू कभी और हर ले तू इस हार को,

आएगा तेरा एक दिन किसी न किसी वार को।


समय समय का चक्र है,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


अपनी ही खोज में निकल संकल्प और विश्वास से,

नारायणी को याद कर और दूर रह परिहास से।


समय समय का चक्र है,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।


तू अपना मित्र खुद ही बन कोई भी दूसरा न चुन,

संघर्ष के इस मार्ग पे तू बना दे एक नई सी धुन।


समय समय का चक्र है,ये ज़िन्दगी क्यों वक्र है।



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