श्रीपंचमी 🌹
श्रीपंचमी 🌹
ऋतु वसंत में श्री पंचमी
का यह दिवस निराला।
नव ऊर्जा,नव उत्साह
नव उल्लास लेकर
आती हैं बुद्धि प्रदाता
आती हैं हंसवाहिनी माता।
वसंत पंचमी सरस्वती पूजा
वागेश्वरी मां अधिष्ठात्री।
अभिनन्दन वंदन हूं करती
सादर हूं शीश नवाती मैया
सादर हूं शीश नवाती ।
विद्या और कला की देवी
श्वेत वस्त्र हैं धारिणी।
श्वेत हंसों पर आसित
चतुर्भुजी छटा हैं बिखेरती।
मंद -मंद मुस्काती मैया
मनवांछित इच्छित वर हैं देती
सत्यम की राह दिखाती।
कमल पुष्प विराजित होकर
ज्ञान का सागर बांटती।
है सच्चा संदेश यह देती
कीचड़ में तुम कमल बनो।
हंसना सीखो कांटों में।
तू ही देती अक्षर ज्ञान
तू ही करवाती शब्द निर्माण।
साहित्य संगीत कला की देवी
अधिष्ठात्री मां करो जगत कल्याण
मां करो जगत कल्याण।
