शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
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कुछ चार बरस का ही था मैं
जब पहली बार स्कूल गया
किसी ने मेरा हाथ थामा
लगा की जैसे माँ आ गई
क्या होता है गुरु ?
उस दिन ही मैंने जाना था,
पूरे मन, वचन, कर्म से उनको
अपना भगवान माना था।
गुरु ही तो वह बाती है
खुद जलकर प्रकाश फैलाता है
अपनी मेधा के बल पर
छात्रों का भविष्य बनाता है।
क्या है हमारी गलती, उनसे
हमें अवगत कराता है।
सुधार करने का एक मौका देता
फिर स्वयं भी उसे बताता है।
आत्मविश्वास का एक दीप जलाता
मुश्किलों में साथ निभाता है
तुम सबकुछ कर सकते हो हर बार यही बतलाता है।
नमन करता हूँ मैं उन सबको
कुछ लायक मुझे बनाया है
मैं कौन हूँ और क्या हूँ!
