Akram Qureshi
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फुर्सत के वो लम्हे,
कहीं बैठे होगें हम-तुम,
यूँ हीं आपस में गुफ्तगू करते,
समेट लेंगे इन हसीन लम्हों को,
अपनी पलकों में छुपा लेंगे,
तुम्हारे इस हसीन साथ को
तुम्हारी आरजू,
तुम्हारी जुस्तुजू,
होगें साथ हमारे....!
साथ तुम्हारे