रज़ा
रज़ा
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क्यों दिया यह जीवन भगवन,
जब वापस ही बुलाना था?
नाटक में उलझाए हमको,
खून यह दृश्य बनाना था?
दुःख दे के तड़पाये इतना,
कहा ना जाये, सहा ना जाये।
तेरी लीला तू ही जाने,
तुझ बिन फिर भी रहा ना जाये।
जनम देने वाले को तू भगवन,
इतना क्यों रुलाता है?
दया कर अपने बन्दों पे,
जो तेरे दर पे आता है।
