रूठ तो जाती हूं पर फिर सोचती हूँ मनाएगा कौन?
रूठ तो जाती हूं पर फिर सोचती हूँ मनाएगा कौन?
1 min
335
रूठ तो जाती हूं
पर फिर सोचती हूँ मनाएगा कौन?
मैं भी हूँ अहम किसी के लिए
ये जताएगा कौन?
तकलीफ देती है कभी कभी
झूठे लोगों के अल्फ़ाज़ भी
पर ये लोगों को समझाएगा कौन?
मैं समझती हूँ सारी कही अनकही बातों
को
पर मुझे समझने की कोशिश भी करे
ऐसा है कौन?
सता तो हर कोई देता है
पर जो लबों पर मुस्कान लाए
ऐसा है कौन?
रूठ तो जाती हूं
पर फिर सोचती हूँ मनाएगा कौन?
मैं भी हूँ अहम किसी के लिए
ये जताएगा कौन?
