रानू मण्डल पर दो कुण्डलिया
रानू मण्डल पर दो कुण्डलिया
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रेशमिया ने बदल दी, रानू की तस्वीर
भीख मांगते खुल गई, रानू की तक़दीर
रानू की तक़दीर, बन बैठी स्वर कोकिला
लता हुई हैरान, सरस्वती-सा स्वर मिला
महावीर कविराय, मुंबई उसकी दुनिया
रानू की तक़दीर, चमका दिए रेशमिया
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रानू रानाघाट की, गाती है क्या खूब
हैप्पी, हार्डी हीर से, बन बैठी महबूब
बन बैठी महबूब, क्या ग़जब का सुर पाया
मन भावन हर गीत, दिलों पे सबके छाया
महावीर कविराय, बनी हम सबकी जानू
कैसे करूँ बखान, लता जैसी है रानू