पर्यावरण
पर्यावरण
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वृक्षों से-नदियों से, ये जिन्दगानी,
पायें शुद्ध वायु, निर्मल सा पानी।
काटें अगर वृक्ष, नये हम लगायें,
पोषण करें हरी, क्रांति भी लायें।
बाधित रहे न, नदियों की धारा,
जीवन को हर पल, रहेगा सहारा।
जल वायु ही है, जीवन निशानी।
वृक्षों के पोषण में, न हो निराशा,
रहती है इनसे, पल पल ही आशा।
अवरल जल धारा, सदा साफ रहती,
ध्वनि कल कल, कुछ हमसे कहती।
अपनी व्यथा की, बताती कहानी।
वनस्पति उपयोगी, जीवन आधार है,
जड़ी बूटियों का, अद्भुत सा सार है।
जल ही है जीवन, जन जन संदेश दो,
सुनो तुम सुनाओ, प्रकृति आदेश को।
ठहरे न जीवन, आये रवानी।
वृक्ष हमें छाया, फल भी तो देते,
योगी'कहो हमसे, क्या कुछ हैं लेते।
जल की ये कल कल, मन को सुहाती,
प्यासा हृदय हर, अमृत लुटाती।
जिंदगी सभी की, हो ये सुहानी।
