प्रीत प्यार
प्रीत प्यार
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रात आधी एक प्याला प्रीत का सोने ना दे
याद बन गयी शिवाला नींद का होने न दे
अंबर तूने चांदनी की हाला जो पिलाई
होश ले गई रैना तारों को सोने ना दे
पवन तूने हौले हौले साज छेड़े तरुवरों से
गीतों की बन गयी है माला पीर पीरोने ना दे
एक सूरज नभ में फिरता है रौशन
बादलों में छिपा उजाला कैसे फिर होने ना दे
जल बरसता है बना ताल नदिया से खेले
बहकर कौन कहता है सेतु का होने ना दे
अगन दबी सी बहती है धरा में वर्षों से
फूटती है ज्वालामुखी से पीर जो सहने ना दे
