STORYMIRROR

Dr. Umesh Singh

Children Stories

4  

Dr. Umesh Singh

Children Stories

प्रेम बंधन

प्रेम बंधन

1 min
339


थे एक स्कूल में फिर भी एकदम अकेले! 

लड़ते झगड़ते रहते थे हरदम हर बात पर!! 

थी उनमें एक नफरत सी एक दूसरे से! 

भाई-बहन होकर भी नहीं थे एक दूजे के!! 

हर बात हर चीज पर थी तकरार उनकी!

लगता उनको उनके प्यार का हिस्सा दूसरा ले रहा!! 

एक दिन रास्ते में लगी बहन को चोट! 

उस दिन भाई को हुआ प्रेम बंधन का एहसास!! 

दर्द हो रहा बहन को रो रहा भाई था! 

रोते देख भाई को बहन की आंखें भर आई!! 

रो पड़ी वह भी रोते देख भाई को! 

आंसुओं में बह गए सारे गिले-शिकवे!!

मिल गए आत्मीयता से गले वह एक दूसरे के!

जुड़ गए प्रेम का बंधन हंसते मुस्कुराते हुए!!


Rate this content
Log in