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Akash Yadav

Others

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Akash Yadav

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पंछी तुझे जाना होगा

पंछी तुझे जाना होगा

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कब तक यहीं दाना चुगेगा;
बन कर बोझ यहीं रुकेगा?
आएगा कभी ऐसा पल जब-
पंछी तुझे जाना होगा।

मेहनत से कब तक मुँह चुराएगा;
अरे! कब तक दुर्जनों से घबराएगा?
माँ-बाप का अब बन सहारा-
अरे! कब तक उन्हें सताएगा?

वे तो कभी बोलेंगे नहीं,
पर तू खुद समझ जाएगा।
कि आ गया अब वह पल जब-
पंछी तुझे जाना होगा।।

अंडे से बाहर निकलकर,
यह जग जिसने दिखाया।
घोंसले में परवरिश कर-
जीना तुझे सिखाया।

चाहता है उन्हें खुश देखना अगर,
तो कुछ कर दिखाना होगा।
साथ उनका छोड़ कर-
पंछी तुझे जाना होगा।।

जा, उड़ जा खुले आकाश में!
कर्तव्य बहुत दिखाना है,
हो गर्व उन्हें तुझ पर-
ऐसा कुछ कर जाना है।

घोंसले में रहकर ही,
पर तू क्या पा पाएगा?
पंख बन तेरा अंतर्मन ही-
पंछी तुझे ले जाएगा।

बिछुड़न का यह गम-
तुझे खुशी से सहना होगा।
हों भले ही आँखें नम-
पर पंछी तुझे जाना होगा।।


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