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फूलों की क्यारी

फूलों की क्यारी

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बोली उस दिन तन कर डॉलू

शेर बनी मैं, चूहा नानू।

भागो भागो जान बचाओ

खा जाऊँगा तुम को नानू।

डर कर बोले अरे शेर जी

मैं तो चूँ चूँ छोटा छोटा।

और आप तो कितने तगड़े

मुँह भी कितना मोटा मोटा।

हाँ बहुत तगड़ा हूँ मैं तो

बोली डॉलू खा जाऊँगा।

डर कर फिर से बोले नानू

मैं पहाड़ पर चढ़ जाऊँगा।

तुम छोटे चूहे हो नानू

पहाड़ चढ़ोगे, थक जाओगे।

दूधू-सब्जी खा लो पहले

तगड़े होकर चढ़ जाओगे।

पर मैं भी तो चढ़ जाऊँगा

तुम्हें पकड़ कर खा जाऊँगा।

अगर सुनाओ मुझे कहानी

सच मानो तब हट जाऊँगा।

चलो सुनाता एक कहानी

इक थी डोली इक थी चेरी।

ऊँ ऊँ नानू यह तो धोखा

क्या कहानी नहीं यह मेरी।

हँस कर बोले नानू, डॉली

बहुत बहुत हो तुम तो प्यारी

सारे घर की तुम तो छमछम

तुम तो हो फूलों की क्यारी।


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