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पेड़ लगाओ

पेड़ लगाओ

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पेड़ लगाओ आने वाले कल की खातिर,

कुछ देर बैठने का, ठांव बनाया है,

मैंने भी एक पेड़ लगाया है।

तपते जेठ की दुपहरी में,

सूरज भी ढूंढेगा छांव,

जलेंगें जब बादल के पांव,

आ जायेंगे फिर,

वो दौड़कर सबके लिए है मेरा गांव।

क्‍योंकि, कुछ देर बैठने का, ठांव बनाया है,


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