ओस की एक बूँद
ओस की एक बूँद
1 min
473
सुबह की एक किरण की तलाश में
कुछ पल ही पाने को उसका साथ
ओस की एक बूंद हर रोज आती है
घास के तिनकों पर हो कर उदास।
इस उम्मीद में कि पल भर ही सही
पर उसका सूरज होगा उसके साथ
आसपास होगी उसकी खुश्बू
और पल भर में होगा सदियों का
अहसास।।
पर वक़्त को है कुछ और ही मंज़ूर
धरती पर आई मीलों का करके सफर
दिल में संजोकर सपने और
सूरज से मिलने की ले कर आस
धूप की गर्मी से बिखरी उसकी काया
ये क्या हुआ कोई समझ न पाया
उठ गया प्रेम पर से सबका विश्वास
बुझ गई ओस की प्रेम की प्यास।।
