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lakshmi soni

Others

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ओस की एक बूँद

ओस की एक बूँद

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सुबह की एक किरण की तलाश में

कुछ पल ही पाने को उसका साथ


ओस की एक बूंद हर रोज आती है

घास के तिनकों पर हो कर उदास।


इस उम्मीद में कि पल भर ही सही

पर उसका सूरज होगा उसके साथ


आसपास होगी उसकी खुश्बू

और पल भर में होगा सदियों का

अहसास।।


पर वक़्त को है कुछ और ही मंज़ूर

धरती पर आई मीलों का करके सफर


दिल में संजोकर सपने और

सूरज से मिलने की ले कर आस


धूप की गर्मी से बिखरी उसकी काया

ये क्या हुआ कोई समझ न पाया


उठ गया प्रेम पर से सबका विश्वास

बुझ गई ओस की प्रेम की प्यास।।


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