नन्हे
नन्हे

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नन्हे-नन्हे पैरों से नापे दुनिया है।
बेफिक्र, बेसहारा अपने आप ही घूमे है।
कहने को तो बचपन है, पर काम तो बड़ों जितना है।
दुःखी है, भूखे है, बीमार है, पर फिर भी चेहरे पर मुस्कान है।
कहने को तो भगवान है, पर ज़ुल्म किए हज़ार है।
मुँह मोड़ा है, नकारा है, मारा है, पर फिर भी हम इंसान है।
ना दौलत है, ना शोहरत है, बस एक मुस्कान है।
कहने को तो बच्चे है, पर माना हमने आवारा है।