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Rinku Chopra

Others

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Rinku Chopra

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नजदीकी में दूरियां

नजदीकी में दूरियां

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हम कहते भी तो उनसे क्या कहते

जब एक मुद्दतों बाद उनसे मिले थे

अल्फ़ाज़ तो लाखों थे उनसे कहने को

मगर सब के सब मेरे दिल मे छुपे थे ।


दिल मचल तो रहा था उनसे कहने को

पर दिमाग ने उस पर पहरा लगा रखा था

कहीं टूट न जाना, इसीलिए सम्भल जाओ

दिमाग ये कहकर दिल को डरा रहा था ।


हाल उनका भी शायद कुछ ऐसा ही था

होंठो पर कम्पकपाहट, मगर अल्फ़ाज़ न थे

बेचैनी थी और दिल भी था बात करने को

मगर दिमाग और गुस्ताख़ आंखे तैयार न थे ।


उठकर जा भी तो नहीं सकते थे दोनों 

वो शख्श कोई पराया थोड़ी ना था

मगर साथ बैठते भी तो कैसे बैठते 

अब वो सख्श हमारा थोड़ी ना था ।



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