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Prashant V Shrivastava

Others

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Prashant V Shrivastava

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नहीं मुमकिन दूसरा अमिताभ

नहीं मुमकिन दूसरा अमिताभ

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ये मुमकिन है कोई ज़र्रा आफ़ताब हो जाए 

लेकिन नहीं मुमकिन दूसरा अमिताभ हो जाए।


जिसकी शख़्सियत के रुतबे 

फैले हैं कहकशाँ से भी आगे 

जिसकी आवाज़ में ज़िंदादिली है 

जो पहुँचती है आसमान से भी आगे।

 

भले दुनिया में ज़ाहिर, सब उसके राज़ हो जाएँ 

लेकिन नहीं मुमकिन दूसरा अमिताभ हो जाए।


अदाकारी का शहंशाह वही है 

हर परदे पर उसी की सल्तनत है 

उसकी ऊँचाई छूने को चले 

ऐसे तसव्वुर की भी किस में हिम्मत है।

 

वही चाहे तो झुक के, किसी के साथ हो जाए 

लेकिन नहीं मुमकिन दूसरा अमिताभ हो जाए।


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