नेह के धागे
नेह के धागे
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ये नेह के धागे मैंने
मोह से बांधे।
भाई सदैव सुखी
रहें यही ईश्वर से
हम मांगे।
स्नेह का यह सुत्र
बना रहे आजीवन,
ये नेह के धागे
मैंने मोह से बांधे।
बचपन गुजरा
साथ-साथ, हमने
बांधे भाई की
कलाई में धागे।
कभी रंगी कभी
सुंदर कभी
सतरंगी थे धागे।
जवानी आयी,
अलगाव लायी
हम विवस होगये
रीति-रिवाजों के आगे
ये नेह के धागे
हमने मोह से बांधे।
अनेक साल बीते,
बांधी नहीं
भाई को राखी
पर, भगवान से
हर वक्त दुआ मांगी
भाई के सलामत
के लिए, हमने
घुटने टेके हाथ
जोड़े ईश्वर के आगे।
ये नेह के धागे
हमने मोह से बांधे।