Dharmendra Singh Rajpurohit
Others
जिंदगी तू सब में समाती है
और मैं तेरा हिस्सा हूँ।
लेकिन मैं ठहरा नादान
तुझी से मिलने कि आड़ में ,
तुझे गैरों में ढूँढता हूँ।
नादान खोज