आज के समाज में इंसान किस तरह इंसानियत को भूला बैठा है उसी पे कुछ पंक्तिया लिखी है मैंने... आज के समाज में इंसान किस तरह इंसानियत को भूला बैठा है उसी पे कुछ पंक्तिया लिखी ह...
धूल छड़ी इक किताब पुरानी, तेरी मेरी नज़दीकियों की वो कहानी, मिली थी कल तन्हा मुझे, ढूंढ रही शायद वो पु... धूल छड़ी इक किताब पुरानी, तेरी मेरी नज़दीकियों की वो कहानी, मिली थी कल तन्हा मुझे,...