मुक्तक
मुक्तक

1 min

295
रोटी के ख़ातिर नया बसर ढूंढ करके
वो मुसाफिर चला गया डगर ढूंढ करके,
जिस गाँव से थी अब तक मोहब्बत उसे
वो उसको भुला गया शहर ढूंढ करके ।।