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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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मुक्तक : खुशियों का ठिकाना

मुक्तक : खुशियों का ठिकाना

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इस रंज ओ गम की दुनिया में खुशियों का ठिकाना कहाँ है 

दर्द का विशाल महासागर है खिलखिलाने का बहाना कहाँ है 

एक तू ही है प्रभु जहाँ मिलता है सुकून हर आम ओ रसूख को 

तेरे दरबार के सिवा "सांवरिया" ये बेशकीमती खजाना कहाँ है 


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