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मुझमें भी ताकत सच अम्मा

मुझमें भी ताकत सच अम्मा

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होती लहरें कितनी कोमल

लहरें कितनी होती सुन्दर

पर ताकत भी कितनी होती

हिल हिल जाता अजी समन्दर।

माँ मुझको लहरों सा मानो

जग को एक समन्दर अम्मा!

कहो हिलाकर इसको रख दूँ

मुझमें भी ताकत सच अम्मा!

हाँ हाँ बिटिया सच कहती हो

नहीं ना हो तुम किसी से कम

पर पहले तुम खा लो, पढ़ लो

लगा लगा के पूरा दम ख़म!


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