मंजिल
मंजिल
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कई बार हार मिलने के बाद,
कभी तो जीत की ख़ुशी मिलेगी।
काँटों जैसा दर्द सहकर भी,
कभी तो फूलों की खुशबू मिलेगी।
दिन-रात की गई हुई मेहनत
बेकार तो नहीं जाएगी,
कभी तो मेरी मेहनत और तक़दीर
मेरा साथ देगी।
ख्वाब से भरी यह जिंदगी,
कभी तो हकीकत बनेगी,
मुझे मेरी मंजिल एक दिन तो मिलेगी।