मंजिल
मंजिल
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हर वक्त तेरे बारे में सोचता हूँ
ना जाने तू कहाँ रहती है...
पल पल तड़पता हूँ तेरे लिए
फिर भी ना तू हमें मिलती है...
ये जी जान से मेहनत तेरे लिए
खून का पसीना तेरे लिए
हर रात उदासी में जलती है
फिर भी ना तू हमें मिलती है...
ऐ मंजिल खुद पे ना इतना गुमान कर
जब तक ना तू मिलेंगी
तब तक ना पीछे हटूंगा
एक दिन तुझे पैरो में झुकाऊंगा
