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prasoon kunj

Others

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prasoon kunj

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मंज़िल और रास्ते !!

मंज़िल और रास्ते !!

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कभी कभी ज़िन्दगी ऐसे मोड़ दिखलाती है,

ज़िंदा रह के भी मरने का एहसास दिलाती है 


वो टूट गए जो हम से जुड़े थे 

पर उनकी याद हमें हमेशा रुलाती है 


आखिर ये कैसी डगर है ,

जो हर पल एक नई दिशा दिखलाती है,

चलना न सीखा हमने कभी इस पर 

फिर भी क्यों ये मंज़िलों से मिलाती है 

मंज़िल हमारी हो या किसी और की 

पगडंडियां हमेशा आपस में टकराती हैं |  


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