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Ajay Kanotra

Others

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Ajay Kanotra

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मन की रीत

मन की रीत

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बरखा इस बार मैं भी धो लूँ

अपना मन तेरे आंचल से ,

तू आये रीत रुत की निभाने ​

बहे नदियों और नालों से​,

मैं भी रीत मन की निभा लूँ

बह जाऊं अब की बार, 

अखियों के किनारे से​।



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