मन की रीत
मन की रीत
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बरखा इस बार मैं भी धो लूँ
अपना मन तेरे आंचल से ,
तू आये रीत रुत की निभाने
बहे नदियों और नालों से,
मैं भी रीत मन की निभा लूँ
बह जाऊं अब की बार,
अखियों के किनारे से।