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Divik Ramesh

Others

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Divik Ramesh

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मेरी बॉल

मेरी बॉल

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अरे क्या सचमुच गुम हो गई

मेरी प्यारी-प्यारी बॉल?

कहाँ न जाने रखकर मैं तो

भूल गई हूं अपनी बॉल!

यहाँ भी देखा वहां भी देखा

मिली नहीं पर मेरी बॉल!

उछल उछल कर मुझे हँसाती

कितनी अच्छी थी न बॉल!

पकड़ के लाता दौड़ के पप्पी

दूर फेंकती थी जब बॉल।

कहां न जाने रखकर मॆं तो

भूल गई हूं अपनी बॉल।

मां बोली तू बड़ी भुलक्कड़

आ ले खाले ये बादाम।

खाकर अपने इस दिमाग को

देना फिर थोड़ा आराम।

तभी याद आई मुझको तो

दीदी ने तो ली थी बॉल!

झट बोली जाकर दीदी से

दे दो दीदी मेरी बॉल!


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