STORYMIRROR

Amol Payghan

Others

3  

Amol Payghan

Others

मेरा सफर

मेरा सफर

1 min
310

जो सवाल मैंने कभी पूछे थे खुद से,

उन सवालों के जवाब ढूंढने निकला हूं ।

चुभते थे जो कांटों की तरह बार बार,

उन्हे बेअसर करने निकला हूं ।


दिल भी बेचारा परेशान है मेरा,

उलझने खड़ा करता ही रहता हूं ।

सुन लेता है सब कुछ खामोश रहके,

उसे थोड़ी राहत दिलाने निकला हूं ।


क्या पता कब ये रास्ता खत्म हो जायेगा,

ओर इस दिल को सुकून मिल पायेगा ।

मंजिल तो अभी कुछ धुंधली नजर आ रही है,

बस ये सफर पूरा करने निकला हूं ।


Rate this content
Log in