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Khyati Dharod

Others

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Khyati Dharod

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मौत

मौत

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मौत

मौत तू क्यूँ  हँस रही हैं 

देख कर रौता हमें 

पा लिया सब कुछ क्या तूने

देख कर खोता हमें  

 

सज़ा लिया क्या महल अपना

तोड़कर फूल मेरे बाग से ?

कर ली क्या रौशन हवेली अपनी

जलती चिता की आग से ?

 

क्या थकता नहीं कभी तू

इतनी रूह के भार से 

और कितनी तस्वीरों को

सजाना चाहता है तू हर से 

 

थक गई हूँ मैं अब

तुझसे रोज रोज हार के 

कर दे ख़तम संसार सारा

और जीत जा एक ही बार में

और जीत जा एक ही वार से 

 


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