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Faraaz Khan

Others

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Faraaz Khan

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मौसम-ए-बहार

मौसम-ए-बहार

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ख़बरे तो हैं पुरानी, इश्तिहार है नया,

तारीख़ पढ़ के जाना अख़बार है नया !


तफ़सील हर सितम की फ़िर से बताइए,

एक दर्द पुराने का ग़मख़्वार है नया !


शायद में कहानी में मोड़ आएगा,

फ़िर मेरी दास्ताँ में किरदार है नया !


जो चाहे अपने दिल की क़ीमत वसूलिये,

सामान है पुराना, ख़रीदार है नया !


दिल से लगे हो, उनकी जाँ पे नहीं बने,

ज़्यादा न रूठिए अभी वो यार है नया !













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