मौसम-ए-बहार
मौसम-ए-बहार
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ख़बरे तो हैं पुरानी, इश्तिहार है नया,
तारीख़ पढ़ के जाना अख़बार है नया !
तफ़सील हर सितम की फ़िर से बताइए,
एक दर्द पुराने का ग़मख़्वार है नया !
शायद में कहानी में मोड़ आएगा,
फ़िर मेरी दास्ताँ में किरदार है नया !
जो चाहे अपने दिल की क़ीमत वसूलिये,
सामान है पुराना, ख़रीदार है नया !
दिल से लगे हो, उनकी जाँ पे नहीं बने,
ज़्यादा न रूठिए अभी वो यार है नया !
