मैं एक शहर पुराना सा !
मैं एक शहर पुराना सा !
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तुम एक नई सड़क जैसी, और मैं एक शहर पुराना सा !
मैं तुमको रोज़ ही तकता हूँ , तुम मुझसे रोज़ गुज़रती हो,
धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा, तुम मुझको रोज़ बदलती हो !
मैं रोज़ ही ख़ुद से कहता हूँ, कि मुझको नहीं बदलना है,
मैं जैसा भी हूँ, ठीक हूँ मैं, मुझको ऐसा ही रहना है !
पर तेरे आने जाने से, कुछ मुझमें रोज़ बदलता है,
तेरी ज़िद पे, मेरी ज़िद का, कुछ ज़ोर कहाँ अब चलता है !
तेरी इस आवाजाही से, मैं रोज़ नया हो जाता हूँ,
मैं जितना तुमको पाता हूँ , मैं उतना ख़ुद खो जाता हूँ !
लगता है कुछ वक़्त में मैं, तेरे जैसा हो जाऊँगा,
हो जाओ पुरानी तुम थोड़ी, थोड़ा मैं नया हो जाऊँगा !
तुम एक नई सड़क जैसी, और मैं एक शहर पुराना सा !
