मैं
मैं
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मैं प्यार की तलाश मैं खोया कहीं
रास्तों की ठोकरें तो कभी लोगों
के पैरों तले पड़ा कभी
पर ना मिला प्यार सच्चा सा
इज्जत खोई रुतबा खोया
सपने खोई मंजिल खोई
खोया प्यार अपनों का
पर ना मिला प्यार सच्चा सा
रास्तों की ठोकरें खाकर
फिरा दर-दर मजनू सा
कपड़े फटे लगा दामन में दाग
पर ना मिला प्यार सच्चा सा
थक हार के बेठा कही
खोया में अपने मे
देखा एक प्रेमी
बेठा मेरे भीतर
जिसने हर राह मेरा साथ
दिया
मैं था उसे भूला सा
मैं ने
खुद को ना पहचाना
अपने प्यार
को ना जाना कि
मैं खुद हूं अपना प्रेम सच्चा सा
हां मे ही हूँ प्रेमी सच्चा सा।
