मैं हूं एक लड़की
मैं हूं एक लड़की
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मैंने क्यों लिया जन्म जब ना खेल सकूँ अपनी माँ की आँचल में,
बनी रहूँ मैं बोझ, अपनी पिताजी की आँखो में,
मैंने क्या पाप किया की मैं बनी रहूँ मुजरिम अपनी समाज की नज़रो में,
क्या मेरा जन्म लेना ही मेरा पाप था, मैं हूँ एक लड़की और क्या यही मेरा अभीशाप था|
आखिर क्यों लिया मैंने जन्म इस धरती पर,
जब मेरी इज़्ज़त ही नहीं थी लोगों की आँखों में|
बनके रह गई एक शाप
न इज़्ज़त, न प्यार, न जीने का एहसास
मैं हूँ एक लड़की और क्या यही है मेरा अभीशाप|
