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मैं आज भारतवासी

मैं आज भारतवासी

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मैं आज भारतवासी
सूलसा हु उंच नीच के चक्कर में
दबा कुचला हूँ स्वदेशी अंग्रेजो से
पर फिर भी जहाँइंफानी में
उल्फत के नगमे गाता हूँ ,गुनगुनाता हु
और उम्मीदें अब भी बाकी है की
दारिद्रता के पार निकल जाएगी
मेरी ज़िन्दगी की नाव हौले हौले
मैं आज भारत वासी
अपने मौला से मांगता हूँ
ऐसी कलम की लकीरो जो
क्रांति से शुरू क्रांति पर ख़त्म हो
होऊं उन्ही राहों पर आशिक मैं भी
जहाँ थे शहीद ऐ आज़म हैं भी
और वतन से ही हो मेरी आशिकी
वतन से  ही रहे मेरी दिल्लगी


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