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shreya prasad

Others

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माँ

माँ

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आँखें खुलते ही जो चेहरा नज़र आया वो माँ तेरा था

नन्ही सी जान का ये पहला सवेरा था।


लफ्ज़ कम पड़ जाते है माँ तेरी तारिफ में

और सब दर्द कम हो जाते है तेरी गोद में।


 कहाँ से शुरू करूँ समझ नहीं आ रहा

तेरे लिए क्या क्या लिखूं समझ नहीं आ रहा।


बचपन से तेरा पल्लू पकड़ घुमा है मैंने

तुझे मेरे लिए बहुत कुछ कुर्बान करते देखा है मैंने।


पहला शब्द मेरी जुबान पे माँ आया होगा

भगवान से भी पहले मैंने तुझे पुकारा होगा।


मुझे नींद में अक्सर खिलाया है तुने

ना जाने मेरे कितने नखरे सहा है तुने।


१८ साल तक तेरी हाथों से खाया है मैंने

तुझसे दूर जाने के बाद उन पलों को याद किया है मैंने।


तेरे हाथों के बारे में क्या लिखूं

उनमें कितने जादू है कैसे बताऊं।


तेरे हाथ सिर पे रखते ही सारी तकलीफें दूर हो जाती है

तेरे साये जैसा सुकून कहाँ कहीं मिल पाता है।


गुस्से में तेरा दिल भी तो दुखाया होगा ना माँ

मेरी छोटी छोटी गलतियों को माफ़ कर दिया करना ना माँ।


तेरी खूबसूरती के चर्चे तो मेरे दोस्त भी करते हैं,

मैं तुझ जैसी नहीं ऐसा वो लोग कहते हैं।


तेरे चेहरे की मासूमियत तो आज भी वैसी है

ये दुनिया माँ कहाँ तेरे जैसी है ।


खाना तो बस तेरे हाथ का ही पसंद है मुझे,

तुझसे घंटों बात करना अब भी पसंद है मुझे।


तुझे खुशियों से भरने की कोशिश करूंगी

तेरे सब गुण खुद में लाने की कोशिश करूंगी।


तू हमेशा मेरी पहली प्यार रहेगी

तू हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगी।


 माँ तू हमेशा मेरी धड़कनों के पास है,

इसलिए ये कविता काफी खास है।


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