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Amulya Ratna Tripathi

Others

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Amulya Ratna Tripathi

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माँ

माँ

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होता कुछ भी नहीं मैं,

अगर तू साथ ना होती,

गिर के संभल ना पाता, 

गर तू मेरे पास ना होती।

आसमान में सुराख़ कर देती,

ख्वाहिश जो मेरी ये भी होती,

खुशियों में मेरी तू,

अपने गम भुला ही देती,

मेरे कदमों की आहट को,

दूर से ही पहचान लेती।

लड़कपन की गलतियों को,

यूँ ही तू भुला ही देती,

नीदों में भी अपनी तू, 

मेरे सपने सजा के रखती।

होता कुछ भी नहीं मैं,

गर तू मेरी माँ ना होती।




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