माँ का आशीर्वाद
माँ का आशीर्वाद
छुट्टी के बाद मैं घर से लौट रहा था
मेरे कालेज की ओर,
गाँव की हँसी खुशी से दूर
अपनी मंजिल की ओर ।
रुकने की इच्छा तो है
पर मुझे जाना पड़ेगा,
आँखो से गिरते आँसुओं को
सबसे छुपाना होगा।
गाँव में बीते दिन बस
याद रह जाएँगे,
माँ के हाथ का खाना
अब मिल नहीं पाएँगे।
माँ ने भर दिया अपना प्यार
मेरी झोली में,
ढेर सारी मिठाइयाँ ,बर्फियाँ
और जगन्नाथ जी के प्रसाद के रूप में।
आँसू भरे आँखो से बोली
दोस्तों में सब बांट मत देना,
बहुत सारे बर्फियाँ दी हैं
कुछ तुम भी खा लेना।
भारी भरकम दिल ले के
मैं घर से निकल रहाथा,
क्या लिया क्या छोड़ा
वह मन ही मन सोच रहा था।
माँ ने मुझे हिलाया ओर बोली
बेटा तेरी गाड़ी का वक्त हो रहा है,
चलो जल्दी से कुछ खाकर निकलो
क्येंकि बारिश आ रही है।
थोड़ा कुछ खाने के बाद
मैं घर से निकल आया था,
माँ से पहले मेरे आँखों में
पानी आ गया था।
चरण छूने को नीचे झुके तो
माँ ने पकड़ लिया मुझको,
गले से लगाकर बोली
मेरी उमर लग जाए तुझको।