मां गंगा
मां गंगा
न जाने कितने लोगों को पानी पिलाती है
गंगा न जाने कितनों को अमृत से जिलाती है गंगा
भारत को "भारत" से परिचित करवाती है गंगा
विभिन्न संस्कृतियों का संगम करवाती है गंगा
केदारनाथ बद्रीनाथ के दर्शन करवाती है गंगा
गंगोत्री यमुनोत्री में "डुबकी" लगवाती है गंगा
सब लोगों के पाप धोकर मोक्ष दिलाती है गंगा
इस चक्कर में खुद ही मैली हो जाती है गंगा
भारत में ट्यूरिज्म का आधार बनी हुई है गंगा
भारतीय संस्कृति की कर्णधार बनी हुई है गंगा
धरती को सिंचित कर अनेक फसलें देती है गंगा
न जाने कितने लोगों को रोजी-रोटी देती है गंगा
भारत रूपी दिल की धमनी और शिरा है गंगा
युगों युगों से बहती आ रही परंपरा है मां गंगा।
