क्यूँ है
क्यूँ है
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हर तरफ यूं धुंआ क्यूँ है
ये ज़िंदगी मुझसे खफ़ा क्यूँ है
सबकुछ तो ठीक ही है जैसे
पर दिल मेरा परेशां क्यूँ है
वैसे तो मैं गुमराह नहीं कहीं
फिर रास्ता यूं धुंधला क्यूँ है
हजारों ख़्वाब है इन आँखों में मेरे
फिर उनको इसमें ढूंढता क्यूँ है
तुझे पता है, तू एक बाज है 'सोमी'
आख़िर ये पंख तेरा बंधा क्यूँ है?
