क्यों
क्यों
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क्यों चली उस राह पे,
क्या मिला उस राह में,
रास्ते अलग हो गए।
दिन की यह धूप क्यों,
शाम की यह ठंड क्यों,
मुझको न महसूस हो रही।
तारे क्यों दूर है,
सपने क्यों पास है।
दिल की यह सुरंग में,
रोने की क्यों रास है।
हज़ारों के बीच भी,
अकेलेपन का अहसास है।
अकेलेपन में क्यों,
हज़ार डर साथ है