कविता
कविता
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मुझे मन से अपना वो माने रे
बने जैसे कुछ भी न जाने रे
हर पल हर दिन गए यूं ही गिन गिन
निस दिन मेरा दिल ये साजन
यही जीवन जीया जाये न
