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Kalpesh Kalpesh

Others

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Kalpesh Kalpesh

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कविता

कविता

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मुझे मन से अपना वो माने रे

बने जैसे कुछ भी न जाने रे


हर पल हर दिन गए यूं ही गिन गिन


निस दिन मेरा दिल ये साजन

यही जीवन जीया जाये न


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