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Raghu Rastogi

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Raghu Rastogi

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कविता

कविता

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आंखें लगती भी नहीं...

तुमसे मिलती भी नहीं..

सांसे रुकती भी नहीं

सांसे चलती भी नहीं

मेरी सुनती भी नहीं

अपनी कहती भी नहीं

उसके घर के रास्ते

गाड़ी चलती भी नहीं 


धमकी देती है मगर

बिजली गिरती भी नहीं 


कितना झेले बोझ ये

धरती फटती भी नहीं


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