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Kanika Singh

Others

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Kanika Singh

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कुछ रातें भारी होती हैं

कुछ रातें भारी होती हैं

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कुछ रातें भारी होती हैं

जब उफनता है तूफ़ान कुछ पुरानी यादों का ,

जब न रहता कोई मतलब अंधेरे में छिपी बातों का।

जिंदगी टुकड़ों में बिखर सी जाती है ,

सारी उम्मीदें जब टूट सी जाती हैं।

बस हाथ थामकर कोई किनारा दिखा दे ,

मन कहे कि इन आंखों की नमी से किसी का कंधा भिगो दे ।

कुछ रातें भारी होती हैं कि

सांस लेना भी दर्द सा लगता है।

कुछ रातें भारी होती हैं कि

ज़िन्दगी का होना भी बेकार सा लगता है ।



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