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Rafat khan

Others

4.0  

Rafat khan

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कोरोना वायरस

कोरोना वायरस

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आज धर्म ने छुट्टी ली है तो विज्ञान नौकरी पर आया है।

मंदिर मस्जिद गिरिजाघरों में लगे ताले, तो देश का

चिकित्सक

सफेद कपड़े पहन भगवान बन अस्पतालों में उतर

आया है ।


सुनसान सड़के, बेकौफ जानवर सड़कों पर

चिड़ियों की चहचहाहट तो है ,और समुंदर भी

लहराया है।

पर तब भी ना जाने क्यों ये इंसान घबराया है ।


ये कैसी खौफ, ये कैसा डर जिसने हमें दहलाया है ।

खाकी वर्दी में खड़ा है सुधार कामत फिर भी मन

घबराया है ।

ये कैसा मंजर ये कैसा असमंजस जो हमें रुलाया है।


ना हाथों में बंदूक ना तलवार फिर ये कैसे जंग का

आगाज आया है ।

और आज पूरा हिन्दुस्तान प्रधानमंत्री के कहने पर

अप्रैल में

मन से आस की दीपावली का दिया जलाया है।


ये कैसा दुश्मन पूरे विश्व में मौत का कोहराम

मचाया है।

जांच पड़ताल कर विश्व के वैज्ञानिकों ने इसे

कोवाइड19 (कोरॉना वायरस) बताया है ।


किसी को घर से दूर रहने का दुख तो, किसी को

भूख के दर्द ने सताया है

ये कैसी लोकडाउन (कर्फ्यू )की रेखा जिसने कहीं

दूध को नाली में

बहाया तो, कहीं दूध के कमी ने बच्चों को रुलाया है।


ये कैसी स्थिति ये कैसा जंग ,जहां दुश्मन समझ ना

आया है।

ये कैसा वायरस का कहर जिसने मौतों का ढेर

लगाया है।

दुनिया थमी है, वक़्त रुका है,फिर भी भारत के

हर नागरिक ने

शंख,थाल और ताल बजा कर देश के सुरक्षा कर्मियों,

जवानों और चिकित्सा कर्मचारियों का आभार जताया है।


कहीं फैसले पकी, कहीं सब्ज और फल पेड़ो पर लदे

पर उसे तोड़ने आज कोई नहीं आया है।

सरकार ने कही चावल बांटे, तो कही गेहूं पर सच तो

यही है के

फिर भी देश के कुछ परिवार ने एक अन्न का दाना ना

पाया है।


कहीं किसी ने दाल बाँटा, तो कहीं किसी ने रोटी

पर फिर भी कितने मासूम ने भूख से जान गंवाया है।

ये कैसा कहर ये कैसी क़यामत जिस से इंसान

इंसान को ही छूने से कतराता है।


विश्व की अर्थवयवस्था हिली देश का हर नागरिक

आय की चिंता से मुरझाया है ।

हम आपके लिए घर के बाहर है, आप हमारे लिए

घर में रहे

ये कह कर देश के कर्मियों ने,इस मुश्किल घड़ी में

धैर्य जताया है।


कहीं परिजनों ने अस्थियों को पेड़ो पर टंगा ,

तो कहीं जनाजे पे माटी देने कोई भी ना आ पाया है।

ये कैसी संकट की आपदा जिसे प्रधानमंत्री ने समझ की

लंबी जंग बताया है।


देश जीतेगा कोरोना वायरस हारेगा ये कह कर

हर हिनदुस्तानी

चेहरे पर अपने नोज मस्क लगाया है।

और घरों में कैद हो कर अपना कर्तव्य दिखाया है।


वायरस का कहर खत्म होगा हम फिर से गलियों

में खेलेंगे

ये कह कर देश के हर बच्चे बच्चे ने साबुन, सैनीटायीज़र

और डेटॉल जैसे हैंडवाश का उपयोग बढ़ाया है।


कही इंसानियत ने मुफ्त में मस्क बाँटा, तो कहीं अनाज

पर फिर भी कही देश के ना सामझो ने मस्क एवम्

अनाज ज़ब्त कर स्थिति का फायदा उठाया है।


मौत का बढ़ता कहर ,क़यामत की चपेट फिर भी

आज पूरे भारत में विज्ञान जगमगाया है ।

दिन के बाद रात और हर मुश्किल के बाद एक नया

सवेरा आया है।

ज्ञान ,समझ और विज्ञान ने प्राकृतिक के हर आपदा

पर विज्ञान का विजय परचम लहराया है।


हर पल विज्ञान लगा है, इस विषाणु का विनाश ढूंढने में

और हिंदुस्तान के हर शख्स ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है।

एकता में बल है, समझ में ताकत है,और विश्वास में आश

उसी तरह लॉकडॉन की लक्ष्मण रेखा में हमारा जीवन है।

ये कह कर हर हिनदुस्तानी ने अपना धर्म निभाया है।

और कॉरोना वायरस के विस्तार पर लॉकडाउन की

लक्ष्मण रेखा लगाया है।


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