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maulik parikh

Others

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कंधे पर सर रखकर रो सके।

कंधे पर सर रखकर रो सके।

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कोई है क्या ऐसा जिसके 

अब वो तो हे नहीं जिसके गोदी में सर रखकर रो सके।

खुदा ने छिन लिया है वो आँचल जिसे लगकर रो सके।

कोई है क्या ऐसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।।

हमें तो ये भी याद नहीं कि हमें पल्लू में छुपकर रो सके।

अब तो ये भी नहीं हो सकता कि कहीं छुपकर रो सके।

कोई है क्या ऐसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।।

तकिये ने भी साथ छोड़ दिया है वो मुंह छुपाकर रो सके।

अब तो आदत सी हो गई है कोई मिले ऐसा तो रो सके।

कोई है क्या ऐसा जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके।। 


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