STORYMIRROR

Kanhaiya sharma Anmol

Others

4  

Kanhaiya sharma Anmol

Others

कलुषित वृक्ष

कलुषित वृक्ष

1 min
41.3K


कलुषित वृक्ष

आज भी उठ रहा हैं 
काला धुआँ
सरहद के उस पार से
जिसकी विषैली बू
समा रही हैं सीनों में।
और करती है हरा
उस जख्म को
जो वर्षों पहले मिला था
बँटवारे के दिनों में।।
बटँवारा  जिसने 
  बहुत कुछ खोया।
और गुमशुदा घाटियों में
कलुषित बीज बोया।।
आज वो बीज
बन चुका हैं वृक्ष विशाल
जिसकी हरेक शाखाओं पर
है आतंक के काँटे।
और हो रहे हैं विकसित
बारूदी गंध युक्त पुष्प।।
   जिसकी हर टहनी पर
लटके हैं कई जहरीले साँप।
जो आतुर हैं निगलने को
मानवीय सँवेदनाएँ 
और करते है जहरीली फुकाँर।।
अजीब है खासियत 
  इस रक्त बीजी वृक्ष की
इसे चाहो जितना काटो
फिर पनप जाता हैं।
और करता है एक 
   कलुषित अट्ठाहस।।
और उजागर कर देता हैं
मानवीय दुर्बलता को।।
मगर होता है ,अंत हरेक का
यहीं है सृष्टि का नियम।
बस रण चंडी बन
   करे सार्थक प्रयत्न हम।।
    
   आपका अनुज:-अनमोल तिवारी "कान्हा"


Rate this content
Log in