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कलाम साहब को श्रद्धांजली

कलाम साहब को श्रद्धांजली

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विज्ञानपुरुष वो अनलपूत, भारतविकास, रुख़ मोड़ गया | 
वो सकल व्योम का संरक्षक,इस वसुंधरा को छोड़ गया | 
वो महामहिम जिसका कर पा,सम्मान धन्यता पाते थे | 
कौशल,कुशाग्र मृदुवाणी से , नवप्राण मुग्ध हो जाते थे | 
हे दिव्यास्त्रों के पूज्यजनक!, तेरा ऋण हम पर बाक़ी है  | 
तू हमसे नाता तोड़ गया , दुख रही देश की छाती है | 
तेरा ही राष्ट्रसमर्पण है , आगे सीमा लाँघ नहीं सकता | 
दिखलाया निष्ठाभाव , धर्म का बंधन बाँध नहीं सकता | 
अंतिम पल तक जीवन जीने का,सफल मार्ग दिखलाया है | 
भारत की नवपीढ़ी हित अपना , ज्ञानकलश लुटवाया है | 
हे भारत माँ के भाग्यपूत ! , हमको विश्वास नहीं होता | 
तू बीच हमारे नहीं आज , ऐसा एहसास नहीं  होता | 
तेरा अमूल्य हर नीतिवाक्य ,जन जीवन सफल बनाऐगा | 
इस घोरतिमिर के अंधपटल पर , पुण्यप्रकाश दिखाऐगा । 
भारत की माटी का कण- कण , युग- युग तक तुझको ध्याऐगा । 
जब तक विज्ञान धरा पर है ,  तेरी गाथाऐं गाऐगा । 

- ओजकवि विजय कुमार विद्रोही
*रचना के संबंध में सर्वाधिकार सुरक्षित*

 

 


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